अहंकार माझा विदेही
अहंकार माझा विदेही कराया
धजते ती देवा वरुनिया ॥
मम जीवज्योति सुता मृत्युहातिं
जरि जाई, यश नाहिं या सांप्रदाया ॥
धजते ती देवा वरुनिया ॥
मम जीवज्योति सुता मृत्युहातिं
जरि जाई, यश नाहिं या सांप्रदाया ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वर | - | विनायकबुवा पटवर्धन |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | देसी |
ताल | - | झपताल |
चाल | - | डिडौंडन बाजे |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
विदेहस्थिति | - | देहाचे भान विसरवणारी, मुक्त अशी अध्यात्मिक (ज्ञानी) अवस्था, निर्विकल्प. |
सुता | - | कन्या. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.