आभाळमाया
जडतो तो जीव
लागते ती आस
बुडतो तो सूर्य
उरे तो आभास
कळे तोच अर्थ
उडे तोच रंग
ढळतो तो अश्रू
सुटतो तो संग
दाटते ती माया
सरे तोच काळ
ज्याला नाही ठाव
ते तर आभाळ
घननीळा डोह
पोटी गूढ माया
आभाळमाया..
आभाळमाया..
लागते ती आस
बुडतो तो सूर्य
उरे तो आभास
कळे तोच अर्थ
उडे तोच रंग
ढळतो तो अश्रू
सुटतो तो संग
दाटते ती माया
सरे तोच काळ
ज्याला नाही ठाव
ते तर आभाळ
घननीळा डोह
पोटी गूढ माया
आभाळमाया..
आभाळमाया..
गीत | - | मंगेश कुळकर्णी |
संगीत | - | अशोक पत्की |
स्वर | - | देवकी पंडित |
गीत प्रकार | - | मालिका गीते |
टीप - • शीर्षक गीत, मालिका- आभाळमाया, वाहिनी- झी मराठी. |