बहुत दिन नच भेटलों
बहुत दिन नच भेटलों सुंदरीला ।
म्हणुनि धरुनी बैसेल रुष्टतेला ॥
करिन जेव्हां मी बहुत आर्जवाला ।
पात्र होइन मग मधुर सुहास्याला ॥
म्हणुनि धरुनी बैसेल रुष्टतेला ॥
करिन जेव्हां मी बहुत आर्जवाला ।
पात्र होइन मग मधुर सुहास्याला ॥
| गीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| संगीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| स्वराविष्कार | - | ∙ रामदास कामत ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ प्रकाश घांग्रेकर ∙ श्रीपादराव नेवरेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | सौभद्र |
| राग / आधार राग | - | बागेश्री |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












रामदास कामत