भावविकल ओठावर
भावविकल ओठावर शब्द मूक जाहले
आर्त धुंद गीतांतील सूर सूर संपले !
नवरंगी चित्र एक मोहरले लोचनांत
आली बहरून रम्य प्रीतीची चांदरात
त्या फुलल्या पुनवेचे बिंब कुठे लोपले?
श्वासांनी रेखियली स्वप्नबावरी कथा
गंधाने थरथरली मुग्ध लाजरी लता
त्या गंधित बहराचे विश्व आज भंगले !
जळणार्या हृदयाला समजावू सांग कसे?
मिटवू मी सांग सखे फुलले फूल कसे?
अपुले ते गुज अता आसवांत साठले !
आर्त धुंद गीतांतील सूर सूर संपले !
नवरंगी चित्र एक मोहरले लोचनांत
आली बहरून रम्य प्रीतीची चांदरात
त्या फुलल्या पुनवेचे बिंब कुठे लोपले?
श्वासांनी रेखियली स्वप्नबावरी कथा
गंधाने थरथरली मुग्ध लाजरी लता
त्या गंधित बहराचे विश्व आज भंगले !
जळणार्या हृदयाला समजावू सांग कसे?
मिटवू मी सांग सखे फुलले फूल कसे?
अपुले ते गुज अता आसवांत साठले !
गीत | - | वंदना विटणकर |
संगीत | - | सुधीर फडके |
स्वर | - | उषा अत्रे-वाघ, सुधीर फडके |
गीत प्रकार | - | भावगीत, युगुलगीत |
आर्त | - | दु:ख, पीडा. |
गुज | - | गुप्त गोष्ट, कानगोष्ट. |
लता (लतिका) | - | वेली. |
विकल | - | विव्हल. |