देवाघरचे ज्ञात कुणाला
देवाघरचे ज्ञात कुणाला विचित्र नेमानेम?
कुणी रखडती धुळीत आणिक कुणास लाभे हेम
मी निष्कांचन, निर्धन साधक
वैराग्याचा एक उपासक
हिमालयाचा मी तो यात्रिक
मनात माझ्या का उपजावे संसाराचे प्रेम?
कुणी रखडती धुळीत आणिक कुणास लाभे हेम
मी निष्कांचन, निर्धन साधक
वैराग्याचा एक उपासक
हिमालयाचा मी तो यात्रिक
मनात माझ्या का उपजावे संसाराचे प्रेम?
गीत | - | वसंत कानेटकर |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | मत्स्यगंधा |
राग | - | यमन |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कांचन | - | सोने. |
हेम | - | सोने. |