धांव घालीं विठू आतां
धांव घालीं विठू आतां चालूं नको मंद ।
बडवे मज मारिति ऐसा कांहीं तरि अपराध ॥१॥
विठोबाचा हार तुझ्या कंठीं कैसा आला ।
शिव्या देती ह्मणती महारा देव बाटविला ॥२॥
जोडुनियां कर चोखा विनवितो देवा ।
बोलिला उत्तरीं परि राग नसावा ॥३॥
बडवे मज मारिति ऐसा कांहीं तरि अपराध ॥१॥
विठोबाचा हार तुझ्या कंठीं कैसा आला ।
शिव्या देती ह्मणती महारा देव बाटविला ॥२॥
जोडुनियां कर चोखा विनवितो देवा ।
बोलिला उत्तरीं परि राग नसावा ॥३॥
| गीत | - | संत चोखामेळा |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव, विनायकबुवा पटवर्धन |
| स्वर | - | बालगंधर्व |
| नाटक | - | संत कान्होपात्रा |
| राग / आधार राग | - | पिलू |
| गीत प्रकार | - | विठ्ठल विठ्ठल, नाट्यसंगीत, संतवाणी |
| बडवा | - | पंढरपूरच्या विठोबाचा ब्राह्मण पुजारी. |
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बालगंधर्व