हांसरा चंद्रमा
हांसरा चंद्रमा,
उधळित मधुर स्मितचंद्रिका वाटे !
नयनिं या तारका,
वेधिती जिव हा सारखा,
फुलतसे वदनिं मनोहर काय मोगरा !
उधळित मधुर स्मितचंद्रिका वाटे !
नयनिं या तारका,
वेधिती जिव हा सारखा,
फुलतसे वदनिं मनोहर काय मोगरा !
| गीत | - | प्र. के. अत्रे |
| संगीत | - | |
| स्वर | - | सुरेश हळदणकर |
| नाटक | - | जग काय म्हणेल |
| गीत प्रकार | - | शब्दशारदेचे चांदणे, नाट्यसंगीत |
| चंद्रिका | - | चांदणे. |
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सुरेश हळदणकर