ही बहु चपल वारांगना
ही बहु चपल वारांगना ।
साहस, दंभ, लोभ कपटानृत
भाषण टाकिल कशि या स्वगुणा ॥
प्रेमचित्रिका दिधली तीतें ।
अर्पी परि ती प्रिय पुरुषातें ।
कुललीला या तिच्या देति संताप मना ॥
साहस, दंभ, लोभ कपटानृत
भाषण टाकिल कशि या स्वगुणा ॥
प्रेमचित्रिका दिधली तीतें ।
अर्पी परि ती प्रिय पुरुषातें ।
कुललीला या तिच्या देति संताप मना ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
| नाटक | - | संशयकल्लोळ |
| राग / आधार राग | - | खमाज |
| चाल | - | कोयलिया कोकु |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| अनृत | - | असत्य. |
| वारांगना | - | वेश्या. |
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प्रकाश घांग्रेकर