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ही बहु चपल वारांगना

ही बहु चपल वारांगना ।
साहस, दंभ, लोभ कपटानृत
भाषण टाकिल कशि या स्वगुणा ॥

प्रेमचित्रिका दिधली तीतें ।
अर्पी परि ती प्रिय पुरुषातें ।
कुललीला या तिच्या देति संताप मना ॥