ही रात सवत बाई
ही रात सवत बाई
सजणास येऊ नच देई
फुलशेज जिवाची केली
चांदवा नयनींचा केला
दस लाख चंद्रज्योती
अंती अशा निमाल्या
हे दु:ख कशी ग साहु
बांका वसंत आला
सजणास येऊ नच देई
फुलशेज जिवाची केली
चांदवा नयनींचा केला
दस लाख चंद्रज्योती
अंती अशा निमाल्या
हे दु:ख कशी ग साहु
बांका वसंत आला
| गीत | - | |
| संगीत | - | |
| स्वर | - | पं. मल्लिकार्जून मंसूर |
| गीत प्रकार | - | भावगीत |
| चंद्रज्योती | - | चंद्रजोती. चंद्रासारखा प्रकाश देणारे दारुकाम (भुईनळा, चक्र, इ.) |
| शेज | - | अंथरूण. |
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पं. मल्लिकार्जून मंसूर