झणि दे कर या दीना
झणि दे कर या दीना ।
प्रेमजलातुर मृतशा दे जल ते या मीना ॥
वांच्छा तरी उपकारमधुच्या ।
या करि संतत पाना ॥
प्रेमजलातुर मृतशा दे जल ते या मीना ॥
वांच्छा तरी उपकारमधुच्या ।
या करि संतत पाना ॥
गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
स्वर | - | श्रीपादराव नेवरेकर |
नाटक | - | संगीत एकच प्याला |
राग | - | अडाणा |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | सुंदरी मोरी का |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
झणी | - | अविलंब. |