कर हा करीं धरिला
कर हा करीं धरिला शुभांगी ।
सुदिनीं रमाकांतासामोरी ॥
सुखदा सदा मत्स्वामिनी तूं ।
गृहसंपदा उपभोगि सारी ॥
सुदिनीं रमाकांतासामोरी ॥
सुखदा सदा मत्स्वामिनी तूं ।
गृहसंपदा उपभोगि सारी ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वराविष्कार | - | ∙ पं. वसंतराव देशपांडे ∙ शरद जांभेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | संशयकल्लोळ |
| राग / आधार राग | - | दुर्गा |
| चाल | - | भय हें नवें |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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पं. वसंतराव देशपांडे