लहरी अतां सुखाच्या
लहरी अतां । सुखाच्या ।
करिती तनू रोमांचिता ॥
सदनी येतां । जिवलग सखया ।
रमणिं-मनीं ये । हीच प्रफुल्लता ॥
करिती तनू रोमांचिता ॥
सदनी येतां । जिवलग सखया ।
रमणिं-मनीं ये । हीच प्रफुल्लता ॥
| गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
| स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
| नाटक | - | अमृतसिद्धी |
| राग / आधार राग | - | जयजयवंती |
| ताल | - | त्रिताल |
| चाल | - | सबर नहीं |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| रमणी | - | सुंदर स्त्री / पत्नी. |
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प्रकाश घांग्रेकर