मम सुखाचि ठेव
मम सुखाचि ठेव, देवा, तुम्हापाशीं ठेवा;
ती स्मृतिवरि लिहावी, मम कारणें, जनकनांवा ॥
अखिलहि खर्चचि करि, आप्त-देव-धर्म-वैभवीं;
वर अजि हा असा मला द्यावा ॥
ती स्मृतिवरि लिहावी, मम कारणें, जनकनांवा ॥
अखिलहि खर्चचि करि, आप्त-देव-धर्म-वैभवीं;
वर अजि हा असा मला द्यावा ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
| स्वराविष्कार | - | ∙ कीर्ती शिलेदार ∙ प्रभुदेव सरदार ∙ बालगंधर्व ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | स्वयंवर |
| राग / आधार राग | - | तिलककामोद |
| ताल | - | रूपचंदी |
| चाल | - | सूरसंगतरागविद्या |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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कीर्ती शिलेदार