म्यां लोटिली संकटीं
          म्यां लोटिली संकटीं ।
निष्कारण शारदा बिचारी, मानिल मजसि महाकपटी ॥
बाल मृगी वृकमुखिंची ओढुनि ।
टाकियली दावाग्निंत हातीं ।
केविं ताप साहिल सुकुमारी एकटीं संकटीं ॥
          निष्कारण शारदा बिचारी, मानिल मजसि महाकपटी ॥
बाल मृगी वृकमुखिंची ओढुनि ।
टाकियली दावाग्निंत हातीं ।
केविं ताप साहिल सुकुमारी एकटीं संकटीं ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल | 
| संगीत | - | गो. ब. देवल | 
| स्वर | - | रामदास कामत | 
| नाटक | - | शारदा | 
| चाल | - | माई सरसती शारदा | 
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत | 
| दावाग्नि | - | वणवा. | 
| वृक | - | लांडगा. | 
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 दाद द्या अन् शुद्ध व्हा !
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