नच पार नाद निधिला
          नच पार नादनिधिला ।
विधितनया वीणा वाही, तरुनि जावया ।
पैलतीर परि ना दिसला ॥
ब्रह्मनाद नटवी गानकला ।
श्रुति पंचम जी, श्रुतिसि गोचरा ।
स्वर-लेखनिं जरि कोंदिली तिला ।
हीननाद होई स्वरमाला ॥
          विधितनया वीणा वाही, तरुनि जावया ।
पैलतीर परि ना दिसला ॥
ब्रह्मनाद नटवी गानकला ।
श्रुति पंचम जी, श्रुतिसि गोचरा ।
स्वर-लेखनिं जरि कोंदिली तिला ।
हीननाद होई स्वरमाला ॥
| गीत | - | गोविंदराव टेंबे | 
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे | 
| स्वर | - | पं. कुमार गंधर्व | 
| नाटक | - | तुलसीदास | 
| राग / आधार राग | - | भीमपलास | 
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत | 
| गोचर | - | दृष्य, माहीत. | 
| तनय | - | पुत्र. (तनया- पुत्री). | 
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 दाद द्या अन् शुद्ध व्हा !
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