नाहीं मी बोलत
नाहीं मी बोलत ।
विनयहीन वदतां, नाथा, नाहीं मी बोलत आतां ॥
रणरुचिरा रीती, ना शोभे प्रेमा ती । विनयवती मी कांता ॥
विनयहीन वदतां, नाथा, नाहीं मी बोलत आतां ॥
रणरुचिरा रीती, ना शोभे प्रेमा ती । विनयवती मी कांता ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वराविष्कार | - | ∙ माणिक वर्मा ∙ बालगंधर्व ∙ जयमाला शिलेदार ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | खमाज |
| ताल | - | दादरा |
| चाल | - | हमसे ना बोलो राजा |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| कांता | - | पत्नी. |
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माणिक वर्मा