राम होउनि राम गा रे
          राम होउनि राम गा रे
रामासी शरण रिघा रे
कोण कैंचा हें विचारा
नका कर्म करूं व्यभिचारा
हा दुस्तर भव हराया
तुम्हि जोडा सखा गुरुराया
म्हणे माणिक निज राम पहावा
तयालागीं हृदयींच जपावा
          रामासी शरण रिघा रे
कोण कैंचा हें विचारा
नका कर्म करूं व्यभिचारा
हा दुस्तर भव हराया
तुम्हि जोडा सखा गुरुराया
म्हणे माणिक निज राम पहावा
तयालागीं हृदयींच जपावा
| गीत | - | माणिकप्रभु | 
| संगीत | - | अनिल-अरुण | 
| स्वर | - | प्रभाकर कारेकर | 
| गीत प्रकार | - | राम निरंजन, भक्तीगीत | 
| दुस्तर | - | पार करण्यास अवघड. | 
| रिघणे | - | शिरणे / प्रवेशणे. | 
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 प्रभाकर कारेकर