सदा कलहाविना
सदा कलहाविना । मना न ये नेम सुनें गमे प्रेम ॥
सुधा सुधाकर मुखावरि रुसे । नदीसि सागर सदा हंसतसे ।
प्रभा रविलागिं हास्यनिधाना ॥
सुधा सुधाकर मुखावरि रुसे । नदीसि सागर सदा हंसतसे ।
प्रभा रविलागिं हास्यनिधाना ॥
| गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
| संगीत | - | वझेबुवा |
| स्वराविष्कार | - | ∙ प्रकाश घांग्रेकर ∙ अजितकुमार कडकडे ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | सत्तेचे गुलाम |
| राग / आधार राग | - | देसकार |
| ताल | - | त्रिवट |
| चाल | - | एरी सज्जन बिना |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| निधान | - | खजिना / स्थान. |
| सुधाकर | - | चंद्र. |
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प्रकाश घांग्रेकर