सखे ग कृष्णमूर्त
सखे ग कृष्णमूर्त गोजिरी
ही ठसली मम अंतरी
धरी वदनी मधु बासरी
मधुर काढी सूर श्रीहरी
बावरे सृष्टि-सुंदरी
कर्णात कनक कुंडले
कंठी वैजयंती ही रुळे
माणिक-मुकुट शिरावरी
शोभतो हा कितीतरी
झळकते प्रभा ही बिल्वरी
ही ठसली मम अंतरी
धरी वदनी मधु बासरी
मधुर काढी सूर श्रीहरी
बावरे सृष्टि-सुंदरी
कर्णात कनक कुंडले
कंठी वैजयंती ही रुळे
माणिक-मुकुट शिरावरी
शोभतो हा कितीतरी
झळकते प्रभा ही बिल्वरी
गीत | - | दत्ता डावजेकर |
संगीत | - | दत्ता डावजेकर |
स्वर | - | लता राव |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, भावगीत |
कुंडल | - | कानात घालायचे आभूषण. |
कनक | - | सोने. |
बिलवर | - | उच्च प्रतीची काचेची बांगडी. |
वैजयंती | - | विष्णूच्या गळ्यातली काळी माळ. |
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