संशय का मनिं आला
संशय का मनिं आला । कळेना ।
कारण काय तयाला ॥
आळ वृथा कीं चित्र दिलें मी
कोणा परपुरुषाला ॥
कोपुनि गेले ही मज लागे
हळहळ घोर मनाला ॥
कारण काय तयाला ॥
आळ वृथा कीं चित्र दिलें मी
कोणा परपुरुषाला ॥
कोपुनि गेले ही मज लागे
हळहळ घोर मनाला ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ निलाक्षी जुवेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | संगीत संशयकल्लोळ |
राग | - | खमाज |
चाल | - | श्याम घुंगट पट खोलो |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा, मना तुझे मनोगत |