शंकरपद वंदिं आधीं
          शंकरपद वंदिं आधीं । मग नत बलवंतपदीं ॥
वाग्देवीकंठमणी । प्रतिधाते ज्ञानतरणि ।
रसगंगा यद्वाणी । नमितों ते सुकवि हृदीं ॥
          वाग्देवीकंठमणी । प्रतिधाते ज्ञानतरणि ।
रसगंगा यद्वाणी । नमितों ते सुकवि हृदीं ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल | 
| संगीत | - | गो. ब. देवल | 
| स्वर | - | स्वर कोणाचा(चे) माहित असल्यास संपर्क करा. | 
| नाटक | - | शारदा | 
| राग / आधार राग | - | हमीर | 
| ताल | - | चौताल | 
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, नांदी | 
| धाता | - | ब्रह्मदेव, निर्माता. | 
| नत | - | खिन्न / नम्र. | 
| यद्वाणी | - | (यद् + वाणी) जे शब्द. | 
| वागीश्वरी (वाग्देवी) | - | सरस्वती. | 
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 दाद द्या अन् शुद्ध व्हा !
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