शांतता मानसा मिळत नाही
शांतता मानसा । मिळत नाही सदनात या ।
मजवरी करी दया । प्रभो ये झणी आता ॥
जाळिते ही सुरा, हांसर्या मंदिरा ।
हाय रे पसरली खिन्नता ॥
मजवरी करी दया । प्रभो ये झणी आता ॥
जाळिते ही सुरा, हांसर्या मंदिरा ।
हाय रे पसरली खिन्नता ॥
गीत | - | विमल घैसास |
संगीत | - | ए. पी. नारायणगांवकर |
स्वर | - | जयमाला शिलेदार |
नाटक | - | मदिरा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
झणी | - | अविलंब. |
सुरा | - | मद्य. |