स्वर्ग मला सुभग आज
स्वर्ग मला सुभग आज
धरतीवर गवसला ।
अमरांसहि अजय असा
राजमुकुट लाभला ॥
भुवनवीर पति नृपाल
अतुल विभव बल विशाल
नंदनमय जीवनात
कल्पवृक्ष बहरला ॥
धरतीवर गवसला ।
अमरांसहि अजय असा
राजमुकुट लाभला ॥
भुवनवीर पति नृपाल
अतुल विभव बल विशाल
नंदनमय जीवनात
कल्पवृक्ष बहरला ॥
गीत | - | कुसुमाग्रज |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | लता काळे |
नाटक | - | ययाति आणि देवयानी |
गीत प्रकार | - | नाट्यगीत |
कल्पवृक्ष | - | इंद्रलोकांतील काल्पनिक वृक्ष. इच्छित वस्तू देतो अशी समजूत आहे. |
नंदन | - | इंद्राचे नंदनवन. |
नृपाळ(ल) | - | राजा. |
विभव | - | संपत्ती, ऐश्वर्य. |
सुभग | - | दैवी / सुंदर. |