स्वर्ग मला सुभग आज
स्वर्ग मला सुभग आज
धरतीवर गवसला ॥
अमरांसहि अजय असा
राजमुकुट लाभला ॥
भुवनवीर पति नृपाल
अतुल विभव बल विशाल
नंदनमय जीवनात
कल्पवृक्ष बहरला ॥
धरतीवर गवसला ॥
अमरांसहि अजय असा
राजमुकुट लाभला ॥
भुवनवीर पति नृपाल
अतुल विभव बल विशाल
नंदनमय जीवनात
कल्पवृक्ष बहरला ॥
| गीत | - | कुसुमाग्रज |
| संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
| स्वर | - | |
| नाटक | - | ययाति आणि देवयानी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • या गीताचे मूळ ध्वनीमूद्रण आमच्याकडे नाही. आपल्याकडे असल्यास, कृपया aathavanitli.gani@gmail.com या इ-पत्त्यावर पाठवा. ते रसिकांना ऐकण्यासाठी इथे उपलब्ध करून दिले जाईल. |
| कल्पवृक्ष | - | इंद्रलोकांतील काल्पनिक वृक्ष. इच्छित वस्तू देतो अशी समजूत आहे. |
| नंदन | - | पुत्र / इंद्राचे नंदनवन. |
| नृप, नृपति, नृपाळ(ल) | - | राजा. |
| विभव | - | संपत्ती, ऐश्वर्य. |
| सुभग | - | दैवी / सुंदर. |
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