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तुम मुझे खून दो

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा
मोह-शृंखला तोड दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा

सुजलां सुफलाम् मातृभूमीला
मुक्त कराया हिमालयाला
खड्ग-हस्त मज हवेत बोला
तुम मुझे तन-मन-धन दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा

युद्ध नव्हे हा यज्ञ पेटला
अर्घ्य द्यावया रणचंडीला
खडे व्हा आता बलिदानाला
तुम अपना बलिदान दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा
अर्घ्य - पूजा / सन्मान.

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