उधळिन प्रलयाचा अंगार
उधळिन प्रलयाचा अंगार !
मजला कोण रोधुं शकणार?
सुखवायातें सूड भावना
करावयाते रिपु-बल-हननां
गहन कानना चेतवून मी
होम आज करणार !
मजला कोण रोधुं शकणार?
सुखवायातें सूड भावना
करावयाते रिपु-बल-हननां
गहन कानना चेतवून मी
होम आज करणार !
| गीत | - | विद्याधर गोखले |
| संगीत | - | गोविंदराव अग्नि |
| स्वर | - | लता शिलेदार |
| नाटक | - | चमकला धृवाचा तारा |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| कानन | - | अरण्य, जंगल. |
| चेतवणे | - | उद्दीपित करणे, पेटवणे. |
| रिपु | - | शत्रु. |
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लता शिलेदार