आज गुज सांगते तुला
आज गुज सांगते तुला, छंद एक लागला मला
पहाटची उठून मी उगीच चुंबिते फुला फुला
धुक्यात धुंद हिंडते, स्वप्नलोक धुंडते
हळूच फुंक घालुनी फुलविते दला-दला
फुलापरीस कोमले चुंबितेस तू फुले
सुगंध त्या फुलातला या मनात कोंदला
त्या फुलात कल्पना दावि दोन लोचना
त्याही लोचनांस सखी तोच ध्यास लागला
पहाटची उठून मी उगीच चुंबिते फुला फुला
धुक्यात धुंद हिंडते, स्वप्नलोक धुंडते
हळूच फुंक घालुनी फुलविते दला-दला
फुलापरीस कोमले चुंबितेस तू फुले
सुगंध त्या फुलातला या मनात कोंदला
त्या फुलात कल्पना दावि दोन लोचना
त्याही लोचनांस सखी तोच ध्यास लागला
| गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
| संगीत | - | वसंत देसाई |
| स्वर | - | महेंद्र कपूर, लता मंगेशकर |
| चित्रपट | - | बाप माझा ब्रह्मचारी |
| गीत प्रकार | - | चित्रगीत, युगुलगीत |
| कोंदणे | - | भरून जाणे. |
| गुज | - | गुप्त गोष्ट, कानगोष्ट. |
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महेंद्र कपूर, लता मंगेशकर