अनृतचि गोपाला
          अनृतचि गोपाला मृत्यू आला, यश ना शिशुपाला ॥
कटु वार्ता ती ऐकतां, हृदयीं बोले सखा मज 'तुजला वरियलें' ॥
          कटु वार्ता ती ऐकतां, हृदयीं बोले सखा मज 'तुजला वरियलें' ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर | 
| संगीत | - | भास्करबुवा बखले | 
| स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ आशा खाडिलकर ∙ माणिक वर्मा ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. )  | 
              
| नाटक | - | स्वयंवर | 
| राग / आधार राग | - | सूरमल्हार | 
| ताल | - | त्रिवट | 
| चाल | - | गरजत आये | 
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत | 
| अनृत | - | असत्य. | 
| शिशुपाल | - | श्रीकृष्णाचा मामेभाऊ. रुक्मिणीचा विवाह याच्याशी करावा असा भीष्मकाचा (तिच्या वडिलांचा) बेत होता. | 
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 बालगंधर्व