भालीं चंद्र असे धरिला
भालीं चंद्र असे धरिला, नाचे स्मरसागरवेला ॥
बोला चतुरा बोलवी चंद्रकला कैसें मदनबलें मंजुमंजुला ।
वनमाला बाला दावी लज्जा गालां स्मरलीला ॥
बोला चतुरा बोलवी चंद्रकला कैसें मदनबलें मंजुमंजुला ।
वनमाला बाला दावी लज्जा गालां स्मरलीला ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वराविष्कार | - | ∙ मास्टर दीनानाथ ∙ रामदास कामत ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ छोटा गंधर्व ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | जंगला, जिल्हा |
| ताल | - | दीपचंदी |
| चाल | - | हूं तो करूंगी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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मास्टर दीनानाथ