भरे कांपरे भ्रम दृष्टि
भरे कांपरे, भ्रम दृष्टि ही, जीभहि गेलि सुकोनी ॥
दीक्षितरायें लाज राखिली संकट तें टाळोनी ।
आशा लग्नाची । झाली प्रबल पुन्हां अमुची ॥
दीक्षितरायें लाज राखिली संकट तें टाळोनी ।
आशा लग्नाची । झाली प्रबल पुन्हां अमुची ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | |
नाटक | - | संगीत शारदा |
गीत प्रकार | - | नाट्यगीत |