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भूमि जल तेज पवमान

भूमि, जल, तेज, पवमान, नभ पांच हीं आदि तत्त्वें करुनि साक्ष धरितों ॥

पाणि तुझा सखे वीर नर पार्थ हा धर्मकामीं, तुला आज वरितों ।
प्रिये सोडिं सोडिं अतां संशयातें । देइ सखि गाढ आलिंगनातें ॥