ब्रह्म मूर्तिमंत
ब्रह्म मूर्तिमंत येईल माहेरा ।
होईल सोहळा आनंदाचा ॥
गाव नाही उरला, ठाव नाही उरला ।
निर्गुणी नाहला देह साचा ॥
होईल सोहळा आनंदाचा ॥
गाव नाही उरला, ठाव नाही उरला ।
निर्गुणी नाहला देह साचा ॥
गीत | - | अशोकजी परांजपे |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
नाटक | - | गोरा कुंभार |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |