दहती बहु मना नाना
दहती बहु मना नाना कुशंका ॥
विपदा विकट घोर । निकटी विलोकी ।
मन कंप घेत । गणिते ना विवेका ॥
विपदा विकट घोर । निकटी विलोकी ।
मन कंप घेत । गणिते ना विवेका ॥
गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
स्वर | - | बालगंधर्व |
नाटक | - | संगीत एकच प्याला |
राग | - | काफी, जिल्हा |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | इतना संदेस वा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |