दशदिशांस पुसतो
दशदिशांस पुसतो, पुसतो वेड्या नभा
ती कुठे राजसा माझी प्रिय वल्लभा?
क्षण दिसली, लपली फिरुनी मृगलोचना
का करिसी दैवा क्रूर अशी वंचना?
ते स्वप्न संपले, स्तिमित इथे मी उभा !
मज क्षणाक्षणाला रूप तिचे भासते
छळतात जिवाला दाहक आभास ते
तिमिरांध सूर्य मी शोधित फिरतो प्रभा !
ती कुठे राजसा माझी प्रिय वल्लभा?
क्षण दिसली, लपली फिरुनी मृगलोचना
का करिसी दैवा क्रूर अशी वंचना?
ते स्वप्न संपले, स्तिमित इथे मी उभा !
मज क्षणाक्षणाला रूप तिचे भासते
छळतात जिवाला दाहक आभास ते
तिमिरांध सूर्य मी शोधित फिरतो प्रभा !
गीत | - | शान्ता शेळके |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | अरविंद पिळगांवकर |
नाटक | - | वासवदत्ता |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
प्रभा | - | तेज / प्रकाश. |
वंचना | - | फसवणूक. |
वल्लभा | - | पत्नी. |
स्तिमित | - | आश्चर्य. |
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