दयेचा सागर अपरंपार
दयेचा सागर अपरंपार ।
श्रीहरी सकल जीवनाधार ॥
जयाच्या कृपाकटाक्षाने ।
विषाची होते अमृतधार ॥
श्रीहरी सकल जीवनाधार ॥
जयाच्या कृपाकटाक्षाने ।
विषाची होते अमृतधार ॥
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | गोविंदराव अग्नि |
स्वर | - | विश्वनाथ बागूल |
नाटक | - | चमकला धृवाचा तारा |
गीत प्रकार | - | भक्तीगीत, नमन नटवरा |