दे मज देवा जन्म हा
दे मज देवा जन्म हा ।
भासें जरी मी पतिता कुणा ॥
असुनि कलंकित अंतरीं अपुल्या ।
मिरविती कां हे व्यर्थचि कुलशीला ॥
भासें जरी मी पतिता कुणा ॥
असुनि कलंकित अंतरीं अपुल्या ।
मिरविती कां हे व्यर्थचि कुलशीला ॥
| गीत | - | मो. ग. रांगणेकर |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
| स्वर | - | ज्योत्स्ना भोळे |
| नाटक | - | कोणे एके काळी |
| राग / आधार राग | - | यमन |
| चाल | - | प्रीतम सैय्या लागी रे |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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ज्योत्स्ना भोळे