देव माझा विठू सावळा
देव माझा विठू सावळा
माळ त्याची माझिया गळा
विठु राहे पंढरपुरी, वैकुंठच हे भूवरी
भीमेच्या काठी डुले भक्तीचा मळा
साजिरे रूप सुंदर, कटि झळके पीताम्बर
कंठात तुळशीचे हार, कस्तुरी-टिळा
भजनात विठू डोलतो, कीर्तनी विठू नाचतो
रंगुन जाई भक्तांचा पाहुनी लळा
माळ त्याची माझिया गळा
विठु राहे पंढरपुरी, वैकुंठच हे भूवरी
भीमेच्या काठी डुले भक्तीचा मळा
साजिरे रूप सुंदर, कटि झळके पीताम्बर
कंठात तुळशीचे हार, कस्तुरी-टिळा
भजनात विठू डोलतो, कीर्तनी विठू नाचतो
रंगुन जाई भक्तांचा पाहुनी लळा
गीत | - | कवी सुधांशु |
संगीत | - | दशरथ पुजारी |
स्वर | - | सुमन कल्याणपूर |
राग | - | भूपाल तोडी |
गीत प्रकार | - | विठ्ठल विठ्ठल, भक्तीगीत |
कटि | - | कंबर. |
कस्तुरी | - | एक अतिशय सुगंधी द्रव्य. |