धरित अहा
धरित अहा ! मन आस पहाया ।
गुरु झाला हरि विश्वपदाला ॥
शांति विशाला पसरित जाला ।
मोद मधुरता दे मनाला ।
दिव्य सुधामय लोकमाला ! ॥
गुरु झाला हरि विश्वपदाला ॥
शांति विशाला पसरित जाला ।
मोद मधुरता दे मनाला ।
दिव्य सुधामय लोकमाला ! ॥
| गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
| स्वर | - | बालगंधर्व |
| नाटक | - | नंद-कुमार |
| राग / आधार राग | - | जौनपुरी |
| ताल | - | त्रिताल |
| चाल | - | कहत पिया मोरी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| मोद | - | आनंद |
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बालगंधर्व