धिक्कार मन साहिना
धिक्कार मन साहिना ॥
अपमानशल्य तें । विषसमचि जीवना ।
अजर जणुं भासते । कुवचनें ताडना ॥
चढवीन विभवा । अधनाची ललना ।।
हा मार्ग बरवा । मानापमाना ॥
अपमानशल्य तें । विषसमचि जीवना ।
अजर जणुं भासते । कुवचनें ताडना ॥
चढवीन विभवा । अधनाची ललना ।।
हा मार्ग बरवा । मानापमाना ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वर | - | बापू पेंढारकर |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | अडाणा |
| ताल | - | झंपा |
| चाल | - | दु:खी जन्म दवडिसी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |
| जरा | - | वृद्धत्व. (अजर- जरारहित, वार्धक्यरहित) |
| ताडणे | - | मारणे, प्रहार करणे. |
| बरवा | - | सुंदर / छान. |
| विभव | - | संपत्ती, ऐश्वर्य. |
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बापू पेंढारकर