गुन-सागर गंभीर
गुन-सागर गंभीर दयामय
श्री गुरुदेव महान् !
सूर-ताल-लय-तान-गान के
किमयागार सुजान् !
अनुशासन-पालन में मन जो
उनका शैल-समान् !
वही भरा है प्रेमभाव सें
कोमल फूल-समान् !
श्री गुरुदेव महान् !
सूर-ताल-लय-तान-गान के
किमयागार सुजान् !
अनुशासन-पालन में मन जो
उनका शैल-समान् !
वही भरा है प्रेमभाव सें
कोमल फूल-समान् !
| गीत | - | विद्याधर गोखले |
| संगीत | - | नीळकंठ अभ्यंकर |
| स्वर | - | विश्वनाथ बागुल |
| नाटक | - | स्वरसम्राज्ञी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| शैल | - | डोंगर, पर्वत. |
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विश्वनाथ बागुल