हा टकमक पाही
हा टकमक पाही सूर्य रजनिमूख लाल लाल,
परि ती नच जाई जवळि, म्हणत हा काळ काळ ॥
तनुवरी तारालंकार, त्यांत भर फार इंदु होत, त्यासि घालित माळ ॥
परि ती नच जाई जवळि, म्हणत हा काळ काळ ॥
तनुवरी तारालंकार, त्यांत भर फार इंदु होत, त्यासि घालित माळ ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वर | - | बालगंधर्व |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | यमनकल्याण |
| ताल | - | त्रिवट |
| चाल | - | पिअरवा ते हारी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| इंदु | - | चंद्र. |
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बालगंधर्व