हरी मेरो जीवनप्राण-अधार
हरी मेरो जीवनप्राण-अधार ॥
और आसरो नाही तुम बिन
तीनो लोक मझार ॥
आपबिना मोहे कछुँ न सुहायो,
निरख्यो सब संसार ॥
मीरा कहे मैं दासी बावरी
दीज्यौ मत बिसार ॥
और आसरो नाही तुम बिन
तीनो लोक मझार ॥
आपबिना मोहे कछुँ न सुहायो,
निरख्यो सब संसार ॥
मीरा कहे मैं दासी बावरी
दीज्यौ मत बिसार ॥
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे |
स्वराविष्कार | - |
∙
पं. राम मराठे
∙ मधुवंती दांडेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मंदारमाला |
राग | - | मिश्र पिलू |
ताल | - | केरवा |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर , नाट्यगीत |