हे वदन तुझे की कमळ निळे
हे वदन तुझे की कमळ निळे?
का नयन पाहता होती खुळे?
विशाल झाले शांत सरोवर
नयनांपुढती अथांग सागर
शेषशायी तव रूप मनोहर-
हलके हलके वर उजळे !
कुठे सख्यांचा मेळा लपला?
कोठे उपवन, कोठे मिथिला?
श्रीविष्णू तू, मी तर कमला
शतजन्म चुरिन मी पदकमले !
का नयन पाहता होती खुळे?
विशाल झाले शांत सरोवर
नयनांपुढती अथांग सागर
शेषशायी तव रूप मनोहर-
हलके हलके वर उजळे !
कुठे सख्यांचा मेळा लपला?
कोठे उपवन, कोठे मिथिला?
श्रीविष्णू तू, मी तर कमला
शतजन्म चुरिन मी पदकमले !
| गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
| संगीत | - | सुधीर फडके |
| स्वर | - | मालती पांडे |
| चित्रपट | - | सीता स्वयंवर |
| गीत प्रकार | - | राम निरंजन, चित्रगीत, नयनांच्या कोंदणी |
| उपवन | - | बाग, उद्यान. |
| कमला | - | लक्ष्मी. |
| मिथिला | - | विदेह देशाची (जनक राजाची) राजधानी. |
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मालती पांडे