ही गुलाबी हवा
ही गुलाबी हवा, वेड लावी जीवा
हाय् श्वासांतही ऐकू ये मारवा
तार छेडी कुणी रोमरोमांतुनी
गीत झंकारले आज माझ्या मनी
सांजवार्यातही गंध दाटे नवा
का कुणी रंग हे उधळले अंबरी
भान हरपून मी कावरीबावरी
का कळेना तरी बोलतो पारवा
हाय् श्वासांतही ऐकू ये मारवा
तार छेडी कुणी रोमरोमांतुनी
गीत झंकारले आज माझ्या मनी
सांजवार्यातही गंध दाटे नवा
का कुणी रंग हे उधळले अंबरी
भान हरपून मी कावरीबावरी
का कळेना तरी बोलतो पारवा
गीत | - | गुरु ठाकूर |
संगीत | - | अवधूत गुप्ते |
स्वर | - | वैशाली सामंत |
चित्रपट | - | गोलमाल |
गीत प्रकार | - | चित्रगीत |
पारवा | - | कबुतराची एक जात किंवा त्याच्या रंगाचा. |