होतों द्वारकाभुवनीं
होतों द्वारकाभुवनीं ।
पाहिली प्रिया नयनीं ।
पूर्ण होती मला वशिनी ।
कसा शठ ती वरिल कामिनी ॥
ती तरुणी मजला निरखुनि वर
शशिकर-विकसित कुमुदिनिपरि
हरिखुनि किंचित मुरडुनि
मधुर स्मित करिकरीगमनी ॥
पाहिली प्रिया नयनीं ।
पूर्ण होती मला वशिनी ।
कसा शठ ती वरिल कामिनी ॥
ती तरुणी मजला निरखुनि वर
शशिकर-विकसित कुमुदिनिपरि
हरिखुनि किंचित मुरडुनि
मधुर स्मित करिकरीगमनी ॥
| गीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| संगीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| स्वर | - | शरद जांभेकर |
| नाटक | - | सौभद्र |
| चाल | - | कर्पुधवलांगा या कर्नाटकी चालीवर |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| कुमुदिनी | - | श्वेतकमळाची वेल. |
| करिकरी | - | हत्ती. |
| शठ | - | लुच्चा, ठक. |
| शशी | - | चंद्र. |
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कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












शरद जांभेकर