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इन्द्र जिमि जंभ पर

इन्द्र जिमि जम्भ पर,
बाडव सुअम्भ पर,
रावन सदम्भ पर,
रघुकुलराज है ॥

पौन बारिबाह पर,
सम्भु रतिनाह पर,
ज्यों सहस्रबाह पर,
रामद्विजराज है ॥

दावा द्रुम दण्‍ड पर,
चीता मृग-झुण्‍ड पर,
'भूषन' बितुण्‍ड पर,
जैसे मृगराज है ॥

तेज तम अंस पर,
कान्ह जिमि कंस पर,
त्यों मलिच्छ बंस पर,
सेर सिवराज है ॥
गीत - कवी भूषण
संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर
स्वर- लता मंगेशकर
गीत प्रकार - स्फूर्ती गीत, प्रभो शिवाजीराजा
  
टीप -
• कवी भूषण यांनी मुख्यत: ब्रज भाषेत लिखाण केले. त्यात त्यांनी संस्कृत, अरबी आणि फ़ारसी शब्दांचाही वापर केला.
इन्द्र जिमि जम्भ पर, बाडव सुअम्भ पर,
रावन सदम्भ पर रघुकुल-राज है ।
पौन बारिबाह पर, सम्भु रतिनाह पर,
ज्यों सहस्रबाह पर राम-द्विजराज है ॥

दावा द्रुम दण्‍ड पर, चीता मृग-झुण्‍ड पर,
'भूषन' बितुण्‍ड पर जैसे मृगराज है ।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यों मलिच्छ बंस पर सेर सिवराज है ॥५६॥

शब्दार्थ-
अम्‍भ - (अंभस्‌ (संस्कृत)) जल, यहाँ समुद्र से तात्पर्य है
दंभ - घमंडी
रघुकुलराज - रामचन्द्र
बारिबाह - (वारि (पाणी) + वाह (नेणे) (संस्कृत)), जल वहन करने वाला, बादल
रतिनाह - रति के स्वामी, कामदेव
रामद्विजराज - परशुराम
दावा - वन की अग्‍नी
द्रुमदण्ड - वृक्ष की शाखाएँ
वितुण्ड - हाथी
तम अंस - अंधकार का समूह

अर्थ- जिस प्रकार इन्द्र ने जम्‍भ राक्षस को, श्रीराम ने घमंडी रावण को, महादेव जी ने रतिनाथ (कामदेव) को, परशुराम ने सहस्रबाहु को और श्रीकृष्ण ने कंस को नष्ट किया और जैसे बाड़व (बड़वानल) समुद्र को, पवन बादलों को, दावाग्‍नी (जंगल की आग) वृक्षों की शाखाओं को, चीता हिरणों के झुंडों को, सिंह हाथियों को और सूर्य का तेज अंधकार समूह को नष्ट कर देता है, उसी प्रकार शिवाजी मुसलमान वंश का नाश करने वाले हैं ।

विवरण- यहाँ शिवाजी 'उपमेय' के इन्द्र, राम, महादेव, कृष्ण, बड़वानल आदि अनेक उपमान कथन किये गये हैं । जिस स्थान पर एक ही उपमेय के बहुत से उपमान हो उसे श्रेष्ठ कवि मालोपमा कहते हैं ।

टिप्पणी-
• जम्‍भ नामक राक्षस महिषासुर का पिता था । इसे इन्द्र ने मारा था ।
• समाधिस्य महादेव ने अपने तिसरे नेत्र द्वारा समाधि भंग करने के लिए आये हुए कामदेव को भस्म कर दिया था, यह प्रसिद्ध है ।
• सहस्रबाहु (कार्तवीर्य) एक बड़ा पराक्रमी राजा था । इसकी एक सहस्र भुजाएँ थीं । इसने परशुराम के पिता जमदग्‍नि ऋषि का सिर काटा था । इस पर क्रुद्ध हो परशुराम ने इसे मार डाला था ।
(संपादित)

'महाकवि भूषणकृत शिवराज-भूषण- विशद भूमिका, शब्दार्थ, पद्यार्थ, ऐतिहासिक स्थानों और व्यक्तियों के परिचय सहित' या पुस्तकातून. (टीकाकार- पं. राजनारायण शर्मा (हिन्दी प्रभाकर), भूमिका-लेखक- श्री. देवचन्‍द्र विशारद)
सौजन्य- हिन्‍दी भवन, जालंधर और इलाहाबाद.

* ही लेखकांची वैयक्तिक मते आहेत. या लेखात व्यक्त झालेली मते व मजकूर यांच्याशी 'आठवणीतली गाणी' सहमत किंवा असहमत असेलच, असे नाही.

  इतर संदर्भ लेख

 

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