जा जा न वचना
जा जा न वचना । बोला थांबवीत कोणी न आपणा ॥
कसा पट मांडिला । लव जरी खेळतां या पला ।
त्यांत थोरपण उरतेची ना ॥
कसा पट मांडिला । लव जरी खेळतां या पला ।
त्यांत थोरपण उरतेची ना ॥
| गीत | - | स्वातंत्र्यवीर सावरकर |
| संगीत | - | वझेबुवा |
| स्वर | - | आशा खाडिलकर |
| नाटक | - | सन्यस्त खड्ग |
| चाल | - | मंजुल रसना |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| पट | - | वस्त्र / सोंगट्या, बुद्धिबळे इ. ज्यावर मांडतात ते वस्त्र. |
| लव | - | सूक्ष्म. |
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आशा खाडिलकर