जागृत ठेवा लग्नाची
जागृत ठेवा, लग्नाची ही स्मृति सारी ॥
व्हालचि माता दुहितांच्या कधिं तरी संसारीं ।
होउं न द्यावा तुम्ही त्यांचा विक्रय बाजारीं ॥
व्हालचि माता दुहितांच्या कधिं तरी संसारीं ।
होउं न द्यावा तुम्ही त्यांचा विक्रय बाजारीं ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | शरद जांभेकर |
| नाटक | - | शारदा |
| राग / आधार राग | - | काफी |
| ताल | - | दादरा |
| चाल | - | आवो आवो रंगेला |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| दुहिता | - | कन्या. |
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शरद जांभेकर