जलधर संगे नभ
जलधर संगे नभ भरलें ते । वासित झालें सौरभवाते ॥
कांता जैसी प्रियतम पतिला । आलिंगन दे तशि ही चपला ।
धांवुनि वेगें या मेघाला । प्रेमें आलिंगन बघ देते ॥
कांता जैसी प्रियतम पतिला । आलिंगन दे तशि ही चपला ।
धांवुनि वेगें या मेघाला । प्रेमें आलिंगन बघ देते ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | छोटा गंधर्व |
नाटक | - | संगीत मृच्छकटिक |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |
चपला | - | वीज. |
सौरभ | - | सुगंध / कीर्ती. |