जाहली जागी पंचवटी
जाहली जागी पंचवटी
कळ्याफुलांचे सडे सांडले झाडांच्या तळवटी
पहाटवारा सुटला शीतळ
अंब्यावरती बोले कोकिळ
तापसबाळा जळा चालल्या कुंभ घेउनी कटी
सडा शिंपण्या आश्रमांगणी
कवाड उघडी जनकनंदिनी
उभा पाहिला दीर लक्षुमण राखित पर्णकुटी
बघुन तयाची निष्ठा-प्रीती
जानकी नयनी जमले मोती
त्या मोत्यांचा सडा सांडला भूमीवर शेवटी
कळ्याफुलांचे सडे सांडले झाडांच्या तळवटी
पहाटवारा सुटला शीतळ
अंब्यावरती बोले कोकिळ
तापसबाळा जळा चालल्या कुंभ घेउनी कटी
सडा शिंपण्या आश्रमांगणी
कवाड उघडी जनकनंदिनी
उभा पाहिला दीर लक्षुमण राखित पर्णकुटी
बघुन तयाची निष्ठा-प्रीती
जानकी नयनी जमले मोती
त्या मोत्यांचा सडा सांडला भूमीवर शेवटी
गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
संगीत | - | पं. हृदयनाथ मंगेशकर |
स्वर | - | पं. हृदयनाथ मंगेशकर, लता मंगेशकर |
चित्रपट | - | आकाशगंगा |
गीत प्रकार | - | चित्रगीत |
कटि | - | कंबर. |
कुटिर (कुटी) | - | झोपडी. |
तळवटी | - | खाली. |
तापस | - | ऋषी. |
नंदिनी | - | कन्या. |