जय शारदे वागीश्वरी
जय शारदे वागीश्वरी
विधिकन्यके विद्याधरी
ज्योत्स्नेपरी कांती तुझी
मुख रम्य शारद चंद्रमा
उजळे तुझ्या हास्यातुनी
चारी युगांची पौर्णिमा
तुझिया कृपेचे चांदणे
नित् वर्षु दे अमुच्या शिरी
वीणेवरी फिरता तुझी
चतुरा कलामय अंगुली
संगीत जन्मा ये नवे
जडता मतीची भंगली
उन्मेष कल्पतरूवरी
बहरून आल्या मंजिरी
विधिकन्यके विद्याधरी
ज्योत्स्नेपरी कांती तुझी
मुख रम्य शारद चंद्रमा
उजळे तुझ्या हास्यातुनी
चारी युगांची पौर्णिमा
तुझिया कृपेचे चांदणे
नित् वर्षु दे अमुच्या शिरी
वीणेवरी फिरता तुझी
चतुरा कलामय अंगुली
संगीत जन्मा ये नवे
जडता मतीची भंगली
उन्मेष कल्पतरूवरी
बहरून आल्या मंजिरी
| गीत | - | शान्ता शेळके |
| संगीत | - | श्रीधर फडके |
| स्वर | - | आशा भोसले |
| राग / आधार राग | - | भीमपलास, बागेश्री |
| गीत प्रकार | - | शब्दशारदेचे चांदणे, प्रार्थना, या देवी सर्वभूतेषु |
| उन्मेष | - | ज्ञान / स्फूर्ती. |
| कल्पतरू | - | कल्पवृक्ष, इंद्रलोकांतील काल्पनिक वृक्ष. इच्छित वस्तू देतो अशी समजूत आहे. |
| जडत्व | - | सुस्ती / वजन. |
| ज्योत्स्ना | - | चांदणे. |
| मंजिरी | - | मोहोर, तुरा. |
| मति | - | बुद्धी / विचार. |
| वागीश्वरी (वाग्देवी) | - | सरस्वती. |
| विधी | - | ब्रह्मदेव. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












आशा भोसले